Sunday, November 23

पिया

पिया, मोहे तोसा मिला ना कोई,
ना हो पाए तोहरे नैना हमार,
ना छू पाए तोहरे लब पिया,
ना रहा तोसा अब खुमार,
ना ही रही तोसी मीठी तलब,
रहे तो बस रेत के घरोंदे,
और रहा जल ऊफान,
पिया, तुम काहे नहीं हो सके हमार |

पिया, मोहे तोसा मिला ना कोई रे,
तोहर जाने से सुधबुध मैंने खोयी रे,
जाने कितेक बिलखी मैं, जाने कितेक मैं रोई रे,
नींद से बोझल आँखे मेरी, जाने कब से ना सोयी रे,
पिया, तेरे कारण मैं खुद की भी ना होई रे |

पिया मोरे, मोहे तोसा मिला ना कोई,
ना मिले तोहरे दिन,
ना मिली तोहरी राते,
ना ही मिला तोसा रूप,
ना ही तोसी बाते,
मिला तो बस एक भीगा सा मन,
और मिली,
तोहरी बावरी सी यादें |

2 comments:

Khem Raj said...
This comment has been removed by the author.
Khem Raj said...

अत्योत्तम!