Saturday, November 8

माँ

हाँ माँ,
मैंने हाल ही में गीत सुने है ,
तुम्हारी अंत:पुकार ,
तुम्हारी ममता,
तुम्हारे त्याग,
और,
तुम्हारे,
असीम प्रेम के बारे में,
सोचा,
क्यूँ ना मैं भी एक गीत लिखू,
मेरी माँ के लिए,
प्यारी अम्मी के लिए |

देखो माँ,
कितना नादान हूँ न मैं,
तुम्हारी लोरी से बढ़कर,
कोई गीत कहाँ होगा,
पर,
फिर भी,
मैं एक गीत लीख रहा हूँ,
तुम्हारे लिए,
तुम्हारा आरम्भ और अंत,
कहाँ होगा भला,
पर,
फिर भी मैं,
गीत आरम्भ कर रहा हूँ,
तुम्हारे लिए ||

देखो माँ,
कितना नादान हूँ न मैं,
अभी तक अनजान की शुरुआत कहाँ से करूँ,
उस रात से -
जब मुझे सूखे मैं सुलाया था,
और,
तुम बिना करवट लिए,
गीले में सोयी थी,
या फिर उस रात से -
जब पापा ने मुझे डांटा था,
और,
तुम अँधेरे में जाके,
अकेली रोई थी |

देखो माँ,
कितना नादान हूँ न मैं,
अभी तक अनजान,
कि,
इस गीत में लिखूं तौ क्या लिखूं,
उस दिन के बारे में -
जब मैं पहली बार बहार गया था,
और,
तुमने आंसुओ से,
अपनी साडी भिगोई थी,
या फिर उस दिन से -
जब मैं घर वापिस आया था,
और,
तुमने सारी की सारी ममता,
मुझपे लुटोयी थी ||


देखो माँ,
मेरी नादानगी,
तुम्हारी तुलना मैंने,
इस सूरज से कर दी थी,
पर मैं भूल गया था,
कि,
तुम उदय होने के बाद,
कभी अस्त नहीं होती,
हाँ माँ,
तुम्हारी तुलना मैंने,
उस बादल से भी कर दी थी,
पर मैं भूल गया था,
कि,
तुम प्रेमजल बरसाते,
कभी प्रशस्त नहीं होती |

हाँ माँ,
देखो ना मेरी नादानगी,
मैंने गीत लिखने की,
कोशिश की है,
तुम्हारे लिए,
मेरी प्यारी माँ के लिए,
अम्मी के लिए ||

:)

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