मेरे बीड़ीबाज दोस्त,
दिन के उजाले में और रात के अँधेरे में,
अक्सर आवाज लगते है -
'ओए, बीड़ी है क्या?"
और मैं कहता हूँ -
"आओ, इस बीड़ी को जिगर से जलाओ"
वो बीड़ी जिगर से जलाये या नहीं,
पर जिगर तो जलता है जब जब,
जली बीड़ी मिले ना तब तब |
Tuesday, November 25
मेरे बीड़ीबाज दोस्त
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