Sunday, November 23

रमता जोगी

अस्त-व्यस्त जिंदगी की अभ्यस्त से पस्त एक सूरज,
प्रेम के ढाई आखर की आसक्तता से त्रस्त एक चाँद,
मन में अनचाही भरी रिक्तता से ग्रस्त एक तारा,
मेरे दिन रात अधूरे, मेरा आकाश भी हारा,
मन म फिर भी भीगी सी यादें, और मैं रमता जोगी सा मस्त सारा ||

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